रोष में खो बैठे क्यों, क्यों होश अपने ?
कहाँ से पयोगे अब वो पुर जोश अपने
मैं न 'मैं' की शमशीर उठाता दरमियान
क्यों छूटते, और रहते खामोश अपने ?
बेज़ार बेजात रख्खा अहल-ए-गरज को
अब क्यों न करे हमें निकोहिश अपने ?
नाज़-ए-फौजदारी में वफ़ा कि उम्मीद ?
नादान इतने कि खो रहे हो होश अपने
जू-ए-चाहत में फिर जब उतरना ही था
क्यों रख रहे हो दिल को रूपोश अपने ?
पुर जोश: zeal-fullness
शमशीर: sword, अहल-ए-गरज: needy people.
निकोहिश: blame, रूपोश : hid...