कुछ लोग कह कए थे कि यही मिलेंगे फिर
कबसे खड़े इंतजार में वो कब दिखेंगे फिर
न कोई उम्मीद होगी तो क्या करेंगे लोग
काज़िब वादों के भरोसे कब तक रहेंगे फिर
मेरी एक तमन्ना थी उसका चेहरा देख लेते
गोया मगर लगता नहीं तब तक जियेंगे फिर
अरसे बाद गाँव आया धुंधला-सा याद है बचपन
ऊँची अट्टालिकायों में दिन कैसे कटेंगे फिर
हाजत-मंद हाथों का ख्याल कोन रखेगा
राहबर को नहीं फुर्सत वो क्या करेंगे फिर
लख्त-ए-जिगर के सामने एक न चली
उसकी मासूमियत देख हम हँसेंगे फिर
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राहबर : leader,लख्त-ए-जिगर : dear child....