Wednesday, 25 January 2012

निशानी

इश्क दरिया है जिसमे इतराती जवानी है निकलोगे कैसे इससे जब बेवफा पानी है   मेहनत के रंग हम भी दिखलाते यहाँ गोया मगर मौका मिलता यहाँ उनको जो खानदानी है जाने वाले चले गए चेहरा छोड़कर कबकेजिए जायेंगे खातिर उनकी नादिर ये निशानी  है कस्बो-गाँव कि सड़को पर गाड़ियों कि रेलम-पेलधूल के गुबार हें बस, वादे-इरादे यहाँ सब बेमानी है   साथ चलते रहे ज़माने को दिखाने भर के लिए वक्त निकल गया 'शाद' अब तो एक कहानी है नादिर : precious...

Friday, 20 January 2012

यारो

जज्बा-ए-दिल का हाल मत पूछो यारो एक बार उतरकर देखो मत सोचो यारो रात घिर आएगी तो कहाँ जाऊंगा फिर कोई पनाह-गाह हमारे लिए तो ढूड़ो यारो सर-ज़मीं पर मचा है तबाही का आलम चादर फेंककर अब तो तुम जागो यारो मुफलिस मुहताज आये ज़माने में गोया ग़म कुछ नहीं एक बार खुलकर नाचो यारो वो नहीं मिल सका जिसे चाहा गोया मगर रोज़ाह-ए-दिल अब तुम तोड़ो यारो मिलोगे तो छेडूगा वही पुराना तराना  'शाद' को तुम अब तो मत मारो यारो जज्बा-ए-दिल : दिल की भावनायें रोज़ाह-ए-दिल : दिल का उपवास, 'शाद' : ख़ुशी                        ...............'शाद'...

Monday, 16 January 2012

'मोहब्बत'

'मोहब्बत' हयात का है एक सफ़हाजोबन कि एक ऊँची परवाज़ है  है इख़लास इरादत अरदास परवर दिगार की साज़ है वह रूह का इल्मे इलाही कि किताब है  कभी अदक सी अज़ाबतो फिर गरल का घूँट भी है कभी फ़रेब मे लिपटी हुई  इंद्रजाल  अध्यास है नदी के दो किनारे तो कभीसागर से मिलती धार है सहिबा का गुरूर तो कभीमाशूक का एकराम है  माना कि कठिन डगर है पर सितारों से भरी रात है पा गए तो 'बारिश-ए-हयात'नहीं मिली तो 'रियाज़त-ए-हयात' // सफ़हा : पृष्ट ,परवाज़ : उड़ान , इख़लास : निस्वार्थ ,अरदास : प्रार्थना,इल्मे इलाही :आधत्म्य, अदक: कठिन, अज़ाब : कष्ट , गरल: जहर, रियाज़त: तपश्या...

Tuesday, 10 January 2012

खामोश

शब्-ए-खामोश है  चाँद-सितारों के बीच लब-ए-खामोश महफ़िल-ए-हज़ारों के बीच बदलते अंदाज़ उनके यहाँ पानी-ए-जू कि तरह आतिश-ए-खामोश कब तलक पत्थरों के बीच सीने में हर हम्द के उसका चेहरा बुने जाता मानी-ए-खामोश मिले शायद इन रहगुज़रों के बीच नियत-ए-इबादत-ओ-खिदमत-ए-खुदा भी है निगाह-ए-खामोश खड़ा फिर भी कतार्रों के बीच साथ चले थे एक ही मंजिल कि और शाद-शाद बेरुखी-ए-खामोश अब है हम-सफ़ीरों के बीच शब्-ए-खामोश : silent night लब-ए-खामोश : silent lips पानी-ए-जू : flowing water of river आतिश-ए-खामोश : strong emotion that one do not able to fully express मानी-ए-खामोश : salient meaning/sense रहगुज़रों : passage नियत-ए-इबादत-ए-खुदा-ओ-खिदमत : intention of prayer of God and duties शाद-शाद : happy-happy बेरुखी-ए-खामोश : silent indifference हम-सफ़ीरों : co-inhabitant  ...

Monday, 2 January 2012

तारीख़

my new year poetry.... कोई उम्मीद कोई ख़ाब नहीं जिगर के पास खुशियाँ हैं यहाँ सब गिरवी क्यों फ़िकर के पास हर मोड़ पर कुछ रास्ते जरूर नज़र आते हैं कितना भी चलो हयात खड़ी क्यों सिफ़र के पास बेवफा नहीं वो, ये दिल ही झूठ बोलता रहता है नहीं तो जान क्यों रहती  उस आतिश-ए-तर के पास  लगा रहा आठों-पहर हुनर-मंद हांथों के साथ फिर सब पहुँच जाता क्यों उस आली-गुहर के पास नया साल हर बार कैलेण्डर बदल जाता है तारीख़-ए-'शाद' फिर क्यों नहीं नज़र के पास आतिश-ए-तर : lips of the beloved आली-गुहर : belonging to a rich family, तारीख़-ए-'शाद' : happy time...

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