Friday, 20 January 2012

यारो

जज्बा-ए-दिल का हाल मत पूछो यारो
एक बार उतरकर देखो मत सोचो यारो

रात घिर आएगी तो कहाँ जाऊंगा फिर
कोई पनाह-गाह हमारे लिए तो ढूड़ो यारो

सर-ज़मीं पर मचा है तबाही का आलम
चादर फेंककर अब तो तुम जागो यारो

मुफलिस मुहताज आये ज़माने में गोया
ग़म कुछ नहीं एक बार खुलकर नाचो यारो

वो नहीं मिल सका जिसे चाहा गोया
मगर रोज़ाह-ए-दिल अब तुम तोड़ो यारो

मिलोगे तो छेडूगा वही पुराना तराना 
'शाद' को तुम अब तो मत मारो यारो

जज्बा-ए-दिल : दिल की भावनायें
रोज़ाह-ए-दिल : दिल का उपवास,
'शाद' : ख़ुशी

                       ...............'शाद'


5 comments:

दर्शन कौर धनोय said...

ला -जवाब कर दिया यारो ....धरती की खाक को आसमा कर दिया यारो ..बहुत खूब

avanti singh said...

waah! bahut hi umda gazal hai .....bdhai sweekaren...

V G 'SHAAD' said...

thanks darshan and avanti

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

@जज्बा-ए-दिल का हाल मत पूछो यारो
एक बार उतरकर देखो मत सोचो यारो

बहुत खूब,

जो उतरे इक बार इस दरिया के पानी में
वो कभी उबर न पाए अपनी जिन्दगानी में

V G 'SHAAD' said...

thanks lalitji

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