कुछ लोग कह कए थे कि यही मिलेंगे फिर
कबसे खड़े इंतजार में वो कब दिखेंगे फिर
न कोई उम्मीद होगी तो क्या करेंगे लोग
काज़िब वादों के भरोसे कब तक रहेंगे फिर
मेरी एक तमन्ना थी उसका चेहरा देख लेते
गोया मगर लगता नहीं तब तक जियेंगे फिर
अरसे बाद गाँव आया धुंधला-सा याद है बचपन
ऊँची अट्टालिकायों में दिन कैसे कटेंगे फिर
हाजत-मंद हाथों का ख्याल कोन रखेगा
राहबर को नहीं फुर्सत वो क्या करेंगे फिर
लख्त-ए-जिगर के सामने एक न चली
उसकी मासूमियत देख हम हँसेंगे फिर
काज़िब : false ,हाजत-मंद : poor/needy,
राहबर : leader,लख्त-ए-जिगर : dear child.
कबसे खड़े इंतजार में वो कब दिखेंगे फिर
न कोई उम्मीद होगी तो क्या करेंगे लोग
काज़िब वादों के भरोसे कब तक रहेंगे फिर
मेरी एक तमन्ना थी उसका चेहरा देख लेते
गोया मगर लगता नहीं तब तक जियेंगे फिर
अरसे बाद गाँव आया धुंधला-सा याद है बचपन
ऊँची अट्टालिकायों में दिन कैसे कटेंगे फिर
हाजत-मंद हाथों का ख्याल कोन रखेगा
राहबर को नहीं फुर्सत वो क्या करेंगे फिर
लख्त-ए-जिगर के सामने एक न चली
उसकी मासूमियत देख हम हँसेंगे फिर
काज़िब : false ,हाजत-मंद : poor/needy,
राहबर : leader,लख्त-ए-जिगर : dear child.
8 comments:
my first post..
हमने कहा था इसलिए वादा निभाएगें जरुर
तुम्हारी गलियों एक बार फ़िर आयेगें जरुर।।
मेरी एक तमन्ना थी उसका चेहरा देख लेते
गोया मगर लगता नहीं तब तक जियेंगे फिर
बड़े मासूम ख़यालात हैं... शुभकामनायें
thanks lalitji and sandhyaji
कुछ लोग कह कए थे कि यही मिलेंगे फिर
कबसे खड़े इंतजार में वो कब दिखेंगे फिर
बहुत ही अच्छे खयालात अतीत में खो जाने को मन करता हैं
बहुत ही अच्छी पोस्ट हमेश ऐसे ही लिखते रहिये गा।
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं
हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
मालीगांव
thanks surendra singhji
वाह! शानदार.... उम्दा ग़ज़ल...
सादर बधाई/स्वागत....
habibji shukriya
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