Monday, 2 January 2012

तारीख़

my new year poetry....
कोई उम्मीद कोई ख़ाब नहीं जिगर के पास
खुशियाँ हैं यहाँ सब गिरवी क्यों फ़िकर के पास

हर मोड़ पर कुछ रास्ते जरूर नज़र आते हैं
कितना भी चलो हयात खड़ी क्यों सिफ़र के पास

बेवफा नहीं वो, ये दिल ही झूठ बोलता रहता है
नहीं तो जान क्यों रहती  उस आतिश-ए-तर के पास 

लगा रहा आठों-पहर हुनर-मंद हांथों के साथ
फिर सब पहुँच जाता क्यों उस आली-गुहर के पास

नया साल हर बार कैलेण्डर बदल जाता है
तारीख़-ए-'शाद' फिर क्यों नहीं नज़र के पास

आतिश-ए-तर : lips of the beloved
आली-गुहर : belonging to a rich family,
तारीख़-ए-'शाद' : happy time

5 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बेवफा नहीं वो, ये दिल ही झूठ बोलता रहता है
नहीं तो जान क्यों रहती उस आतिश-ए-तर के पास
बहुत खूब ..अच्छी गज़ल

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बहुत खूब गजल

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई

V G 'SHAAD' said...

thanks lalit and sangeetaji

संध्या शर्मा said...

कोई उम्मीद कोई ख़ाब नहीं जिगर के पास
खुशियाँ हैं यहाँ सब गिरवी क्यों फ़िकर के पास

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल... नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं... Keep it up...

V G 'SHAAD' said...

thanks sandhyaji

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