Thursday, 15 December 2011

परवाज़

कभी गम कभी ख़ुशी रखना
बस होंठों पर हँसी रखना

कुछ परिंदे आसमा छोड़ जाएँ
तो भी तुम परवाज़ जारी रखना

चमक-दमक खींचेगी हर ओर
मगर बचा कर चाँदनी रखना

कभी बीते लम्हे मुस्कराने लगें
फेंक ग़म कि चादर पास ख़ुशी रखना

अगर आ जाये रक़ीब सामने
भुला के सब बस दोस्ती रखना

ऱब मिले या न मिले यहाँ 
बस खुदा से 'शाद' बंदगी रखना

V G 'SHAAD'
                           
  
रकीब : दुश्मन, परवाज़ : उड़ान

4 comments:

Dr.NISHA MAHARANA said...

अगर आ जाये रक़ीब सामने
भुला के सब बस दोस्ती रखना .very nice.

V G 'SHAAD' said...

thanks nisha

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

@चमक-दमक खींचेगी हर ओर
मगर बचा कर चाँदनी रखना

वाह वाह, बैकअप रखना जरुरी है। :)

V G 'SHAAD' said...

thanks lalitji

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